शासकीय भूमि पे रहने वालों को मिलेंगे स्थाई ,अस्थाई पट्टे।

उज्जैन । राज्य शासन द्वारा नगरीय क्षेत्रों के आवास गृह स्थलों के सम्बन्ध में पट्टाधिकृत अधिकार भूमियों को प्रदान करने के लिये 31 दिसम्बर 2014 की स्थिति में मप्र नगरीय क्षेत्रों की भूमिहीन व्यक्ति अधिनियम-1984 के अन्तर्गत पात्र व्यक्तियों को यथास्थिति स्थाई व अस्थाई पट्टा विलेख प्रदान कर व्यवस्थापित करने के निर्देश दिये गये हैं। कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने जिले के सभी एसडीएम को निर्देशित किया है कि वे अपने यहां नगरीय क्षेत्र में धारण अधिकार योजना के तहत पात्र व्यक्तियों को अस्थाई पट्टाभिलेख प्रदान करें।
अपर कलेक्टर श्री अवि प्रसाद ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णय अनुसार नगरीय क्षेत्रों में स्थित शासकीय भूखण्डों के ऐसे अधिभोगियों को जो उनके अधिभोग में 31 दिसम्बर 2014 या इसके पूर्व निर्विवाद रूप से आधिपत्य में रहे हैं और वर्तमान में भी आधिपत्य में चले आ रहे हैं, चिन्हांकित कर शासन द्वारा निर्धारित प्रब्याजी एवं भूभाटक लेकर उनके अधिभोग के भूखण्डों के 30 वर्षीय स्थाई पट्टे जारी किये जाने के लिये कहा गया है। ऐसे आवासीय एवं व्यावसायिक वाणिज्यक भूखण्डों के मामले में राज्य शासन द्वारा प्रब्याजी एवं भूभाटक का निर्धारण करते हुए पट्टा विलेख प्रदान किये जायेंगे। इन मामलों में कार्यवाही के लिये कलेक्टर सक्षम प्राधिकारी हैं एवं कलेक्टर द्वारा स्वीकृति प्रदान उपरान्त पट्टा हस्ताक्षर जारी करने का कार्य कलेक्टर द्वारा प्राधिकृत अपर कलेक्टर/डिप्टी कलेक्टर द्वारा किया जायेगा। इस सम्बन्ध में कलेक्टर श्री आशीष सिंह द्वारा चरणबद्ध कार्यवाही करने के निर्देश जारी किये गये हैं।
आवेदन तथा जांच की प्रक्रिया
राज्य शासन द्वारा धारण अधिकार के सम्बन्ध में आवेदन तथा जांच की प्रक्रिया निर्धारित कर दी गई है। अधिभोगियों द्वारा पट्टाधिकार/भूमिस्वामी अधिकार-पत्र प्राप्त करने के लिये ऑनलाइन आवेदन निर्धारित आरसीएमएस पोर्टल के माध्यम से प्रस्तुत करना होंगे। सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्राप्त आवेदनों के मामले में प्रकरणवार दावे-आपत्ति आमंत्रित की जायेगी तथा मौके की स्थिति एवं क्षेत्र विशेष के अन्तर्गत प्राप्त आवेदनों की संख्या के दृष्टिगत एक या इससे अधिक जांच दल गठित किये जायेंगे। जांच दल मौके पर जाकर नक्शा, क्षेत्रफल, प्रयोजन आदि की जांच के साथ ही आधिपत्य के प्रमाण के रूप में बिजली बिल, जल प्रदाय बिल, शासकीय कार्यालय या उपक्रम से जारी भूखण्ड से सम्बन्धित कोई पत्राचार, जनगणना 2011 में उल्लेखित पता, स्थानीय प्राधिकारी द्वारा जारी सम्पत्ति कर की रसीद व मतदाता सूची में अंकित नाम पते की जांच की जायेगी।