उज्जैन । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.संजय शर्मा ने बताया कि आम जनता के बीच ग्लूकोमा की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिये जागरूकता पैदा करने के लिये विश्व ग्लूकोमा दिवस मनाया जाता है। ग्लूकोमा अंधेपन का उभरता हुआ एक कारण है और वर्तमान में कुल अंधेपन का 5.8 प्रतिशत ग्लूकोमा के कारण है। ग्लूकोमा को दृष्टि के ‘मूक चोर’ के रूप मे भी जाना जाता है। आमजन को नियमित रूप से आप्टिक तंत्रिका की जांच व आंखो की जांच करवाने की सलाह दी जाती है, ताकि समय रहते ग्लूकोमा रोग को पहचाना जा सके एवं इसका उपचार किया जा सके।
ग्लूकोमा क्या है- ‘ग्लूकोमा’ नेत्र रोगों के एक समूह के लिये नाम दिया गया है, जिसमें आंख के पीछे आप्टिक तंत्रिका धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है। ज्यादातर लोगों में यह क्षति जलीय द्रव या इसके निकासी मार्ग में रूकावट के कारण आंख के अंदर दबाव में वृद्धि के कारण होती है। अन्य रोगियों में यह क्षति आप्टिक तंत्रिका तंतुओं को रक्त की आपूर्ति की वजह से तंत्रिका की संरचना में कमजोरी या तंतुओं के स्वास्थ्य में किसी समस्या के कारण हो सकती है।
खतरा- यद्पि ग्लूकोमा किसी को भी हो सकता है, लेकिन मधुमेह, माईग्रेन, निकट दृष्टिदोष, दूर दृष्टिदोष, आंख में चोंट, रक्तचाप वाले लोगों को इससे अधिक खतरा रहता है।
लक्षण- दृष्टि का धुंधला होना, हल्का सिरदर्द, आंखों में दर्द, आंखों मे लाली, दृष्टि में लगातार कमी, दृष्टि में इन्द्रधनुष या प्रभामंडल जैसा दिखना, लगातार सिरदर्द के साथ उल्टी होना। यदि ऐसे लक्षण हों तो नेत्र चिकित्सक से परामर्श लें।
उपचार- चिकित्सक की सलाह एवं नियमित नेत्र परीक्षण आवश्यक है। कुछ मामलों में नेत्र चिकित्सक औषधियों के उपयोग या नेत्र सर्जरी हेतु भी सलाह दे सकते हैं।
जिले की समस्त शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में निःशुल्क जांच एवं उपचार उपलब्ध है।