मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिये स्वच्छ वायु, स्वच्छ हवा सबके लिये।

 

उज्जैन । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.संजय शर्मा ने बताया कि वायु प्रदूषण हवा में ठोस कणों, तरल बिन्दु या गैस के रूप में मौजूद पार्टिकुलेट मेटर (पी.एम.) के कारण होता है। ये प्राकृतिक या कृत्रिम हो सकते हैं। अति-सूक्ष्य पार्टिकल नासिका या मुंह द्वारा श्वसन के दौरान फेफड़ों तक पहुंचते है। वहां से रक्त की धमनियों में प्रवेश कर शरीर के विभिन्न भागों में ये कण पहुंचते है तथा दिल, फेफड़े, दिमाग आदि को हानि पहुंचाते हैं। ये वायु प्रदूषण औद्योगिक धुएं, वाहनों के धुएं, धूल, पराग कण, जंगल की आग या ज्वालामुखी के फटने से निकलते हैं।

वायु प्रदूषण के प्रकार

घर में होने वाला वायु प्रदूषण ‘इन डोर एयर पॉल्युशन’ कहलाता है। इसके कारण है- रसोई घर में कोयला, कण्डे, लकड़ी का ईंधन के रूप में उपयोग, कैरोसीन लैम्प/स्टोव का उपयोग, मच्छर अगरबत्ती, धूपबत्ती का धुंआ, बीड़ी, सिगरेट द्वारा धूम्रपान, सिगड़ी या अलाव जलाना, कूड़ा-कचरा जलाना, घर में धुलाई/सफाई के लिये रसायनों का प्रयोग।

घर के बाहर होने वाला वायु प्रदूषण ‘आऊट डोर या एंबियेंट एयर पॉल्युशन’ कहलाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं- शहरों एवं उसके आसपास स्थापित उद्योग द्वारा छोड़ा गया धुआं, पावर प्लांट जिससे बिजली बनती है, अनायास जंगलों में लगने वाली आग, निर्माण कार्य हेतु लगने वाले ईंट के भट्टे, धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में होने वाली आतिशबाजी व उसमें प्रयुक्त पटाखे, डीजल जेनेरेटर से निकलने वाला धुंआ, परिवहन और यातायात के लिये चलने वाले वाहन, मिट्टी और सड़क की धूल, ठोस कचरे का जलाना, बगीचे के कचरे का जलाना, निर्माण को तोड़ते समय निकलने वाली धूल, खेतों मे कचरा जलाना।

वायु प्रदूषण से क्या नुकसान है, वायु प्रदूषण के दुष्परिणाम

वायु प्रदूषण से फैफडे के कैंसर, निमोनिया, अस्थमा, दिल का दौरा, स्ट्रोक जैसी बीमारियां हो सकती हैं। फैफड़े के कैंसर से होने वाली मृत्यु में 29 प्रतिशत मृत्यु का कारण वायु प्रदूषण होता है। स्ट्रोक या दिमागी दौरा पडने से होने वाली मृत्यु में 24 प्रतिशत मृत्यु का कारण वायु प्रदूषण होता है। दिल की बीमारियों से होने वाली मृत्यु में 25 प्रतिशत मृत्यु का कारण वायु प्रदूषण होता है। फेफडे की बीमारियों से होने वाली मृत्यु में 43 प्रतिशत मृत्यु का कारण वायु प्रदूषण होता है। गर्भवती महिला के शिशु का गर्भ में विकास प्रभावित होता है, गर्भस्थ शिशु का समय पूर्व जन्म, कम वजन का होना, आई.क्यू. कम होना, सीखने में कठिनाई होना, बडी उम्र में मोटापा या डाईबिटीज जैसी बीमारी का जोखिम होना।

वायु प्रदूषण से कैसे बचा जा सकता है

रसोई घर में स्वच्छ ईंधन का उपयोग, खाना बनाते समय खिड़की दरवाजे खुले रखना, वाहनों का पी.यू.पी. प्राप्त करना, पेड़-पौधे लगाना, हरियाली बढ़ाना, कूडा-कचरा न जलाना, धूम्रपान न करना, घर से बाहर निकलने से पहले ‘एयर क्वालिटी इंडेक्स’ चेक करना तथा वायु प्रदूषित होने पर संभवतः घर से न निकलना, पैदल चलना/साईकल का प्रयोग करना।