शिवनवरात्रि महोत्सव के सप्तम दिवस श्री महाकालेश्वर भगवान ने उमामहेश स्वरूप में दिए दर्शन ।

उज्जैन ।महाशिवरात्रि महापर्व के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर में चल रहे शिवनवरात्रि महोत्सव के दौरान भगवान श्री महाकालेश्वर अपने भक्तों को अलग-अलग स्वरूपो में दर्शन दे रहे हैं | शिवनवरात्रि के सप्तम दिवस सांध्य पूजन के पश्यात भगवान श्री महाकालेश्वर एवं माँ भगवती पार्वती ने सभी भक्तों को अपने श्री उमा-महेश स्वरूप में दर्शन दिए ।

मान्यता है कि, परम पिता परमेश्वर शिव और जगदम्बा माता श्री पार्वती के श्री उमामहेश स्वरुप के दर्शन करने से सभी भक्तों को मनवांछित फल प्राप्त होता है, और उनकी सभी इच्छाए पूर्ण होती है | भगवान शिव त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति है, जो सहज ही प्रसन्न हो जाते है एवं मनोवांछित फल देते है।

06 मार्च मंगलवार फाल्गुन कृष्ण एकादशी के शुभ दिन भगवान श्री महाकालेश्वर भगवान के श्री उमामहेश स्वरुप के दर्शन कर रहे भक्तों ने श्री महाकालेश्वर मंदिर का सम्पूर्ण प्रांगण जय श्री महाकाल के जयकारों से गुंजायमान कर दिया ।

प्रातः श्री महाकालेश्वर मंदिर के नेवैद्य कक्ष में भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर का पूजन किया गया तथा कोटितीर्थ कुण्ड के पास स्थापित श्री कोटेश्वर महादेव के पूजन के पश्चात मुख्य पुजारी पं.श्री घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया गया तथा संध्या पूजन के पश्चात बाबा श्री महाकाल को गहरे गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करवाये गये, साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर के श्री उमामहेश स्वरूप का श्रृंगार कर बाबा को मुकुट, मुण्ड माला एवं फलों की माला धारण करायी गयी।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा कथारत्न हरि भक्त परायण पं. श्री रमेश कानडकर जी के शिव कथा व हरि कीर्तन का आयोजन सायं 04:30 से 06 बजे तक मन्दिर परिसर मे नवग्रह मन्दिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर चल रहा है। तबले पर संगत श्री असीम कानडकर ने की।

07 मार्च गुरुवार फाल्गुन कृष्ण द्वादशी तिथि को भगवान श्री महाकालेश्वर शिव तांडव के रूप में दर्शन देंगे।