एक रक्षाबंधन ऐसा भी..
जब 19 सालों बाद घर लौटा अमर बलिदानी बेटा!
बेटे की जीवंत प्रतिमा को देख नहीं थमे वीर माता-पिता के आंसु, दिया समृद्धि का आशीर्वाद
उज्जैन | बाबा महाकाल की नगरी में इस बार मनाया गया यह रक्षाबंधन अभूतपूर्व और अविस्मरणीय बन गया. 19 वर्षों बाद अमर बलिदानी गजेंद्र राव जी सुर्वे की जीवंत प्रतिमा रक्षाबंधन पर जब उनके घर पहुंची तो दृश्य भावुक कर देने वाला था. सैनिक के माता, पिता और वीरांगना बहनों की आंखें नम थीं और आंसुओं से झलक रही थी करुणा, संतुष्टि और आशीर्वाद…
शहीद समरसता मिशन की वीरांगना बहनों ने अमर बलिदानी भाई गजेंद्र राव सुर्वे की जीवंत प्रतिमा और वीर माता-पिता को राखी बांधी तो सालों से शांत भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा.. सैनिक की वीर माता ने कहा कि आज 19 सालों के बाद राखी का पर्व घर में खुशी से मना है. बेटे के वीरगति को प्राप्त होने के बाद तो हमारे लिए सारे त्यौहार रंगहीन और फीके पड़ गए थे. लेकिन आज जब शहीद समरसता मिशन की वीरांगना बेटियां और मोहन नारायण जी भाईसाहब बेटे गजेंद्र की प्रतिमा के साथ रक्षाबंधन मनाने पहुंचे तो हमारी बूढ़ी आंखों में भी कुछ जीवंत हो उठा है।
इस दौरान गजेंद्र राव सुर्वे के वीर पिता ने कहा कि मैं बाबा महाकाल का भक्त हूं और इस पल मेरे आत्मा की आवाज है कि जिस निष्काम भाव से मोहन नारायण भईया आप और शहीद समरसता मिशन के वीर बेटा-बेटी सैनिक परिवारों के लिए काम कर रहे, आपका मिशन इतिहास रचेगा। आज आपने एक बूढ़े मां-बाप को उनके बुढ़ापे की लाठी लौटा दी है, इन 19 सालों में जो कोई नेता, मंत्री या आधिकारी नहीं कर सका वो आपने कर दिखाया।
आपको बता दें कि इस दौरान वीर परिवार के बीच शहीद समरसता मिशन के संस्थापक और राष्ट्रीय संयोजक मोहन नारायण, मिशन की मध्य प्रदेश संरक्षक एवं कारगिल युद्ध के अमर बलिदानी राजेंद्र कुमार यादव (सेना मैडल) की वीरांगना प्रतिभा यादव, उनकी बेटी मेघा, मध्य प्रदेश वीरांगना वाहिनी की प्रमुख एवं बलिदानी कन्हैयालाल जाट की वीरांगना सपना जाट, 1971 युद्ध के नायक कर्नल एसएस सिंधु की वीर बेटी मंजीत सिंधु गर्ग, सामाजिक कार्यकर्ता पूजा चावड़ा एवं सोनल सिंह दरबार समेत मिशन की अन्य बहनों के साथ भाई भी रक्षाबंधन का मनाने पहुंचे.
सैनिक परिवारों को अपना परिवार समझें..
इस दौरान वीरांगना बहनों ने कहा कि राखी का दिन हर बहन के लिए खास होता है. हम उस पीड़ा से परिचित है, जब त्योहारों पर भी घरों में खुशियां और रौनक नहीं होती. आज हम इस राष्ट्र और समाज को यह संदेश देना चाहते है कि सैनिक के परिवार को अपना परिवार मानकर चलें और उनके सुख दुख में शामिल हो. क्योंकि इन परिवारों ने इस राष्ट्र के लिए जो खोया है, उसकी भरपाई किसी भी प्रकार से नहीं की सकती.
रक्षाबंधन के बाद सभी वीरांगनाओं ने अपने भाई को स्मृति में बने सर्व सुविधा युक्त घर “राष्ट्र शक्ति मंदिर” पर कारसेवा कर साफ सफाई की. और 13 अगस्त को होने वाले गृह प्रवेश कार्यक्रम हेतु नगर के प्रबुद्धजनों को आमंत्रण पत्र वितरित किए.