रीवा ।सूचना के अधिकार कानून अर्थात पारदर्शिता से जवाबदेही तक विषय पर इस रविवार 13 फरवरी 2022 को 86 वें राष्ट्रीय आरटीआई वेबिनार का आयोजन किया गया। इस बीच वर्तमान मप्र राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह की अनुपस्थिति में कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व मप्र राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने किया जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर मजदूर किसान शक्ति संगठन के सह-संस्थापक निखिल डे, शंकर सिंह और सोशल एकाउंटेबिलिटी फोरम सफर के कार्यकर्ता पारस बंजारा सम्मिलित हुए।
सरकारी अफसरसाही मात्र पेमेंट ले रही है, हमारे पास है पूरा डेटा, जनता शिकायत करके परेशान इसलिए देश को चाहिए जवाबदेही कानून – शंकर सिंह।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए मजदूर किसान शक्ति संगठन के सह-संस्थापक शंकर सिंह ने कहा कि आरटीआई कानून आने के बाद जानकारियां तो बड़ी मुश्किल से मिल पा रही है लेकिन उन जानकारियों के बाद शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि एक लंबे अरसे से आंदोलन के बाद आरटीआई कानून हमें मिला है लेकिन सरकारी कर्मचारी और अधिकारी कुर्सी को अपनी बपौती समझ कर बैठे हुए हैं और जनता के टैक्स के पैसे पर मजे मार रहे हैं। उन्होंने कहा की जो डेटा उन्होंने हासिल किया है उससे साफ स्पष्ट है की एक वर्ष में 190 दिन की छुट्टियां लेकर लोक सेवक मौज कर रहे हैं और पेमेंट उठा रहे हैं और उधर किसान और मजदूर काम करने के बाद भी मजदूरी प्राप्त नहीं कर पा रहा है और बमुश्किल साल में एक रूपये मजदूरी बढ़ रही है। उन्होंने कहा की पूरे राजस्थान में वर्ष 2010-11 से लेकर जवाबदेही कानून के लिए प्रयास किए जा रहे हैं जिसको अभी हाल ही में एक नया आयाम मिला है जिसे लेकर हर जिले में जाकर शिकायतें इकट्ठी कर सरकारी निस्तारण की प्रक्रिया में खामियों को उजागर करते हुए सरकार की आंखें खोलने का प्रयास किया जा रहा है और जनांदोलन का रूप दिया जा कर जवाबदेही कानून पास करने के लिए माग की जा रही है।
जवाबदेही कानून को आधार बनाने हमने प्रारंभ किया कण्ट्रोल रूम, सरकार को दिखा रहे आईना – पारस बंजारा।
उधर कार्यक्रम में सोशल अकाउंटेबिलिटी फोरम फॉर एक्शन एंड रिसर्च संस्था सफ़र राजस्थान से जुड़े कार्यकर्ता पारस बंजारा ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि जवाबदेही कानून के लिए कई जिलों में आंदोलन किया गया है और शिकायतें ली गई है और इसके लिए शिकायतों को इकट्ठा करने और सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए जयपुर में एक कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है। इस प्रकार जो शिकायतें प्राप्त हो रही है उसमें और सरकार के डेटा में बड़ा अंतर सामने आ रहा है जिसे लेकर उनकी टीम सतत सरकार के संपर्क में है और उनको बता रही है कि किस प्रकार से शिकायतों का गलत ढंग से मनमाने निराकरण किया जा रहा है। क्योंकि कोई जवाबदेही नहीं है इसलिए ऐसी स्थिति निर्मित हुई है कि शिकायतों का गलत और फर्जी निराकरण कर दिया जाता है इसी कारण जन आंदोलन का रूप दिया जाकर जवाबदेही कानून की मांग की जा रही है।
पारदर्शिता कानून के बाद अब हमारा पूरा प्रयास देश में लागू हो जवाबदेही कानून, इसमे जन भागीदारी है बड़ी जरुरत – निखिल डे।
मजदूर किसान शक्ति संगठन के संस्थापक और नेशनल कैंपेन फॉर पीपल राइट टू इनफार्मेशन के संयोजक रहे निखिल डे ने बताया कि हालांकि यह जवाबदेही कानून का आंदोलन वर्ष 2010-11 से निरंतर चल रहा है लेकिन उसको अभी हाल ही में एक नई गति प्रदान की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि आरटीआई कानून के बाद जवाबदेही कानून की मांग की जा रही है और आज नहीं तो कल कानून पास किया जाएगा लेकिन कानून अपने आप में सब कुछ नहीं होता जनता को यह भी जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कानून का पालन करवाने के लिए व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त होनी चाहिए और एक लोकतंत्र में जनता की जवाबदेही भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है इसलिए जनता को अपने अधिकारों के लिए सदैव जागरूक और सतर्क रहना पड़ेगा तभी कानून का पालन हो पाएगा। उन्होंने कहा की किसी भी आंदोलन में लोक संस्कृति और गीतों का एक विशेष महत्व होता है और राजस्थान की धरती से प्रारंभ किए गए सभी आंदोलनों में गीतों का अपना एक अलग महत्व है जिसके लिए उन्होंने अपने सहयोगी आसमी के द्वारा जूम मीटिंग में स्क्रीन शेयर के माध्यम से जवाबदेही कानून से जुड़े हुए आंदोलनकारी गीत भी सुनाए जिसे सुनकर सभी ने सराहा। निखिल डे ने कहा कि अभी सिस्टम में जवाबदेही है लेकिन नीचे से ऊपर की तरफ है अर्थात यदि एसडीएम अपने बाबू से जानकारी मागता है तो उसे तुरंत मिल जाती है इसी प्रकार यदि कलेक्टर सेकेंडरी और निचले अधिकारियों से जानकारी मांगता है तो उन्हें मिल जाती है लेकिन यदि कोई आम नागरिक यही जानकारी एक कलेक्टर और चीफ सेक्रेटरी से मांगता है तो उसे नहीं दिया जाता जिसे बदलने की जरूरत है इसीलिए जवाबदेही कानून की आवश्यकता है। एक लोकतांत्रिक देश में जनता ही राजा होती है और जनता के प्रति बड़े से बड़े अधिकारी की जवाबदेही बनती है। अंग्रेजों के समय सीक्रेट कानून बनाए गए थे जिनको धीरे-धीरे बदलकर आरटीआई कानून तक हम पहुंचे हैं जिससे काफी पारदर्शिता आई है लेकिन अब ऐसे कई कानून जैसे – सोशल अकाउंटेबिलिटी, सिटीजन चार्टर, जन शिकायत निवारण कानून, जन सूचना पोर्टल, धारा 4 के प्रावधान, उपभोक्ता संरक्षण कानून, और समयबद्ध तरीके से सेवा उपलब्ध कराने संबंधी कानूनों को मिलाकर एक ऐसा कानून बनाए जाने की जरूरत है जो अपने आप में समग्र हो और जिसमें अच्छे खासे दंडात्मक प्रावधान भी हों जिससे प्रशासनिक व्यवस्था में जवाबदेही बने और तभी पारदर्शिता का कानून या सूचना का अधिकार कानून अपने आप में सार्थक माना जाएगा।
विशेषज्ञों ने बताया कि आज सूचना का अधिकार कानून तो है लेकिन जानकारी मिलने के बाद भी शिकायतों और भ्रष्टाचार पर कार्यवाहियां नहीं होती है क्योंकि पूरे सिस्टम में जवाबदेही नाम की वस्तु नहीं बची है। इसलिए जवाबदेही कानून की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से आरटीआई एक्टिविस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता, सामाजिक मुद्दों को लड़ने वाले लोगों ने हिस्सा लिया और प्रण भी लिया कि वह भी अपने-अपने जिलों और प्रदेशों में जवाबदेही कानून के प्रति जन जागरूकता फैलायेंगे और पूरे देश में यह कानून जल्द से जल्द लागू किया जाए ऐसी व्यवस्था के प्रयास करेंगे।
सूचना आयुक्त राहुल सिंह की अनुपस्थिति में पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता।
अपने कुछ निजी कारणों से इस रविवार अनुपस्थित रहे मप्र सूचना आयुक्त राहुल सिंह की जगह पर कार्यक्रम में प्रारंभ से जुड़े हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मध्य प्रदेश के पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप ने भी मजदूर किसान शक्ति संगठन की सहसंस्थापक अरुणा राय, निखिल डे, शंकर सिंह, पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी आदि महापुरुषों के दशकों के संघर्ष को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि आज आरटीआई कानून इन्हीं की देन है और जबकि पारदर्शिता का कानून आ चुका है उसका लाभ सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है क्योंकि सिस्टम में जवाबदेही नहीं है लेकिन कोई जवाबदेही के लिए भी अब राजस्थान की धरती से उनके द्वारा प्रयास किया जाकर जवाबदेही कानून लाने की दिशा में कार्य अत्यंत सराहनीय है और देश के कोने कोने से जुड़े हुए आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी इस अभियान और महान्दोलन में योगदान देना चाहिए।
आत्मदीप ने बताया की इस कानून के बाद व्यवस्था में काफी हद तक सुधार आएगा ऐसा उनका मानना है.
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल, उत्तराखंड से आरटीआई रिसोर्स पर्सन विरेंद्र कुमार ठक्कर, जोधपुर से सुरेंद्र जैन, वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह, कैलाश सनोलिया, अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, शिवेंद्र मिश्रा, प्रयागराज से अशोक कुमार जायसवाल, दिल्ली से अक्षय गोस्वामी आदि लोग भी जुड़ें और अपनी अपनी बातें रखें।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा किया गया।
शिवानंद द्विवेदी सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता जिला रीवा मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 9589 1525 87