उज्जैन नगर निगम संचालित करेगा स्वयं का बायो सी.एन.जी. गैस प्लांट सालाना 3 करोड़ से अधिक की कमाई होगी।


उज्जैन। नगर निगम अब वेस्ट टू बेस्ट बनाने की प्रक्रिया को अपना कर कचरे से कंचन की परिकल्पना को साकार करते हुए गीले कचरे से बायो सीएनजी गैस बनाए जाने की ओर अग्रसर हो रहा है, इसके लिए भारत सरकार द्वारा उज्जैन शहर को चयनित किया गया है जहां उज्जैन नगर निगम स्वयं का 175 टी.पी.डी. बायोगैस प्लांट पीपीपी मोड पर संचालित करते हुए स्वयं के खर्चों में कटौती भी करेगा एवं सालाना 3 करोड रुपए से अधिक की कमाई भी नगर निगम को होगी।
निगम आयुक्त श्री रौशन कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में इस तरह का यह दूसरा प्लांट होगा जो उज्जैन नगर निगम द्वारा संचालित किया जाएगा। इस कार्य के लिए कंपनियां नगर निगम से संपर्क भी कर चुकी है जल्द ही गोंदिया ग्राम स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड पर 7 एकड़ की जमीन पर प्लांट लगने के बाद उज्जैन में भी गीले कचरे से बायोगैस बनने के साथ ही कुछ मात्रा में कंपोस्ट भी बनाया जाएगा।
कचरे का प्रबंधन करते हुए गीले कचरे से आय प्राप्त की जाएगी इसके लिए गोंदिया ट्रेंचिंग ग्राउंड में बायोगैस प्लांट लगाने की कार्य योजना भी प्रस्तावित की गई है, जिससे कचरे के निपटारे पर सालाना लगने वाला करीब 1 करोड रुपए निगम का बचेगा, बायोगैस के सीएनजी प्लांट डालने के लिए आगामी 6 माह में उक्त प्लांट की तैयारियां प्रारंभ करते हुए शीघ्र ही प्लांट लगाया जाएगा, भारत सरकार द्वारा उज्जैन शहर को इसलिए चयनित किया गया है क्योंकि यहां प्रतिदिन लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं इस हेतु उज्जैन शहर में बायोगैस प्लांट लगाने की नितांत रूप से आवश्यकता है।
उज्जैन शहर से प्रतिदिन 230 टन कचरा निकलता है जिसमें 60 प्रतिशत गीला एवं 40 प्रतिशत सूखा कचरा होता है जिसे शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर गोंदिया ग्राम स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में वाहनों से भेजा जाता है उक्त प्लांट का वर्तमान में जो कंपनी संचालन कर रही है जिसे सालाना एक करोड रुपए दिए जाते हैं जिससे कंपनी उक्त कचरे से जैविक खाद बनाती है, इस योजना के आने से नगर निगम का सालाना 1 करोड रुपए बचेगा और बायोगैस बनाने वाले कंपनी से एक अच्छी आय भी निगम को प्राप्त होगी।

मुख्य बातें जो प्लांट के संचालन से सार्थक होगी।

१ वेस्ट टू कंपोस्ट प्लांट के मुकाबले बहुत ही कम समय में गीले अपशिष्ट का प्रसंस्करण किया जा सकेगा।
२ बायोगैस प्लांट के संचालन से नगर निगम द्वारा संचालित 30 से अधिक डोर टू डोर कचरा वाहनों के लिए सीएनजी गैस उपलब्ध हो सकेगी जिससे निगम का
खर्चा भी कम होगा।
३ खुले बाजार में बायो सीएनजी का विक्रय भी किया जा सकेगा।
४ उत्सर्जित कम्पोस्ट खाद किसानों को और रासायनिक उर्वरक सीधे कंपनियों को विक्रय की जा सकेगी।
५ शून्य अपशिष्ट निपटान मॉडल और लैंडफिल जरूरत को पूर्णतः समाप्त या कम कर देगा।
६ मुख्य रूप से यह पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया है जिसमें ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है एवं खतरनाक गैस जिसमे मेथेन एवं कार्बन
डाइऑक्साइड गैस को बिल्कुल समाप्त किया जा सकेगा और कार्बन क्रेडिट अर्जित किए जा सकेंगे।