उज्जैन । संहार शक्ति व तमोगुण के अधिष्टाता सदाशिव की रात्रि महाशिवरात्रि महापर्व शिव आराधना की सर्वश्रेष्ठ रात्रि मानी जाती है क्योंकि, चतुर्दशी के स्वामी स्वयं शिव है। सनातन धर्म में 12 माह की 12 शिवरात्रियां होती है | जिसमे फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि महाशिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिवनवरात्रि का उत्सव बड़ी धूम-धाम व उल्हास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान श्री महाकालेश्वर भगवान गुरूवार 29 फरवरी से 08 मार्च शुक्रवार तक अलग-अलग नौ रूपों में श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण स्थित कोटितीर्थ के तट पर प्रात: 08 बजे से श्री गणेश पूजन व श्री कोटेश्वर महादेव भगवान का पूजन-अभिषेक-आरती के साथ शिव नवरात्रि महोत्सव के दूसरे दिवस का प्रारम्भ हुआ।
श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी श्री घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राम्हणों द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान जी का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया गया । पूजन का यह क्रम 08 मार्च 2024 तक प्रतिदिन चलेगा |
अपराह्न में 3 बजे सांध्य पंचामृत पूजन के पश्चात श्री महाकालेश्वर भगवान ने भांग श्रृंगार कर निराकार से साकार रूप धारण किया।
शिव नवरात्रि के दूसरे दिन संध्या पूजन के पश्चात भगवान श्री महाकालेश्वर ने शेषनाग धारण कर भक्तों को दर्शन दिये। भगवान श्री महाकालेश्वर को गुलाबी रंग के नवीन वस्त्र के साथ मेखला, दुप्पटा, मुकुट, मुंड-माला, छत्र आदि से सुसज्जित कर भगवान जी का भांग, चंदन व सूखे मेंवे से श्रृंगार किया गया। साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर को मुकुट, मुण्ड माला, नागकुंडल एवं फलों की माला के साथ शेषनाग धारण करवाया गया।
श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रागंण में शिवनवरात्रि निमित्त सन् 1909 से कानडकर परिवार, इन्दौर द्वारा वंशपरम्परानुगत हरिकीर्तन की सेवा दी जा रही है। इसी तारतम्य में कथारत्न हरि भक्त परायण पं. श्री रमेश कानडकर जी के शिव कथा, हरि कीर्तन का आयोजन सायं 04:30 से 06 बजे तक मन्दिर परिसर मे नवग्रह मन्दिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर चल रहा है। आज पं.श्री कानडकर जी ने श्री धनधान्येश्वर महादेव जी की कथा का वर्णन किया। तबले पर संगत श्री असीम कानडकर ने की।
उल्लेखनीय है कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में श्री महाकालेश्वर मन्दिर स्थित है। इसे भारत के बारह प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। पुण्य सलीला शिप्रा तट पर स्थित उज्जैन प्राचीनकाल में उज्जयिनी के नाम से विख्यात था। इसे अवन्तिकापुरी भी कहते थे। यह स्थान हिन्दू धर्म की सात पवित्र पुरियों में से एक है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में भी उज्जैन विशेष महत्व है। इसी के साथ ही श्री महाकालेश्वर मन्दिर के गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान श्री गणेश व श्री कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएं हैं। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में श्री नंदीकेश्वर भगवान प्रतिमा विराजित है।
शनिवार 02 मार्च फाल्गुन कृष्ण सप्तमी को श्री महाकालेश्वर भगवान श्री घटाटोप के स्वरूप में श्रद्धालुओं को दर्शन देगें।