बंगला देशी हिन्दुओ पर अत्याचार नहीं सहेगा हिंदुस्तान।

उज्जैन। सकल हिन्दू समाज द्वारा आज उज्जैन में सामाजिक न्याय परिसर मे एकत्रित होकर बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार ओर हिंसा के विरोध मे सकल हिन्दू समाज के द्वारा बड़ी संख्या मे एकत्रित होकर सामाजिक न्याय परिसर से शहीद पार्क तक रैली निकाल कर महामहिम राष्ट्रपति के नाम उज्जैन कलेक्टर नीरज सिह को ज्ञापन सौपा।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्द् बौद्ध और ईसाई समुदाय पर हो रहे अत्याचार के संबंध में भारत के नागरिक और सकल हिंदू समाज के प्रतिनिधि, बांग्लादेश में हिन्दू बौद्ध और ईसाई समुदायों पर हो रहे अत्याचारों के प्रति अपनी गहरी चिंता और विरोध व्यक्त किया.बांग्लादेश में वर्तमान में जो अत्याचार चल रहे हैं,वे केवल मानवाधिकारों का उल्लंघनही नहीं हैं बल्कि इनसे हमारे साझा सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्य भी आहत हो रहे हैं। हाल की घटनाएः हमारे पड़ोसी देश में हुई कुछ घटनाओं ने हमें गहरे आधात पहुँचे है, जिनमें विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों पर किए गए हमलों की एक श्रृंखला शामिल है। 28 नवबर 2024, ढाका: इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास जी के लिए महाप्रसाद लेकर जा रहे दो हिंद् श्रद्वालुओं को केवल उनके धार्मिक कर्त्यों को निभाने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया। 27 नवंबर 2024, मैमनसिंह. एक हिंदू दुकानदार पर हमला कर उसकी दुकान को लूट लिया गया, जिससे उसका जीवन और आजीविका प्रभावित हुई है । 26 नवंबर 2024, सिराजगंज: कट्टरपंथियों द्वारा लोकनाथ मंदिर पर पेट्रोल बम फैंका गया, जिससे मंदिर को नुकसान पहुचाया गया और हिंद् धार्मिक स्थलों पर हमला किया गया। 25 नवंबर 2024, ढाका इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास जी कोझूठे देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार 4. किया गया, जो कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवीय अधिकारों का उल्लंघन था। 24 ‘नवबर 2024, बगेरहाटः एक हिंद् लड़की को जबरन धमांतरण कर आतकी सगठन में शामिल किया गया, जो एक गंभीर अपराध है और अल्पसंख्यको के खिलाफ हो रहे अत्याचारौं का प्रतीक है। 20 नवंबर 2024, बरिसाल: हिंद् समुदाय के घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया, उनकी संपत्ति और सम्मान को नष्ट कर दिया गया।19 सितंबर 2024, सिलहटः बौद्ध और हिंद् मंदिरों को तोड़-फोड़ कर आग लगा दी गई, जो धार्मिक असहिष्णुता और सांस्कृतिक धरोहर को नष्ट करने का एक प्रयास था।इन घटनाओं में हजारों हिंद् बौद और ईसाई परिवारों को विस्थापित किया गया है और उनके धर्मिक स्थलों को तोड़ा गया है। उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता परहमले किए जा रहे हं,जो न केवल बांग्लादेश के संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि हमारे समग्र मानवता के लिए भी एक खतरा हैं.भारत सरकार दवारा बांग्लादेश सरकार पर दबाव डाला जाए ताकि वहां अल्पसख्यक समुदायों की
सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और धार्मिक स्वतंत्रता को कायम रखा जा सके।
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के माध्यम से बांग्लादेश सरकार को इन
अत्याचारों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस गंभीर मुद्दें की ओर
आकर्षित किया जाए।
अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराई जाए और दोषियों को
क़ड़ी सजा दी जाए ताकि इस प्रकार के अपराधों की पुनरावृत्ति न हो।यह केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह हमारी साझा सांस्कृतिक धरोहर, धार्मिक अस्मिताऔर पारस्परिक सम्मान पर भी हमला है। हम आपसे निवेदन करते हैं कि इस गंभीर मुदेपर तत्काल
और ठोस कदम उठाए जाएं ताकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा मिल सके और इन
अत्याचारों को रोका जा सके। हम आशा करते हैं कि भारत सरकार इस विषय में सकारात्मक हस्तक्षेप करेगी और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाएगी।