आयुष मंत्री श्री कावरे के मुख्य आतिथ्य में राष्ट्र स्तरीय आयुर्वेद मेले का शुभारम्भ किया गया।

उज्जैन । शुक्रवार को प्रदेश के आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रामकिशोर कावरे (नानूजी) के मुख्य आतिथ्य में कालिदास संस्कृत अकादमी के पं.सूर्यनारायण व्यास संकुल सभागृह में राष्ट्र स्तरीय आयुर्वेद मेले का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद श्री अनिल फिरोजिया ने की। विधायक श्री पारस जैन भी कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए।

अतिथियों द्वारा भगवान धन्वंतरि की मूर्ति पर माल्यार्पण कर तथा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस दौरान अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के अध्यक्ष श्री देवेंद्र त्रिगुणा, डॉ.एसएन पाण्डेय, वैद्य श्री राकेश शर्मा, श्री ओम जैन एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे। कार्यक्रम में स्वागत भाषण अध्यक्ष मप्र आयुर्वेद काउंसिल श्री वासुदेव काबरा ने दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आयुष मंत्री श्री रामकिशोर कावरे ने अपने उद्बोधन में आयुष पद्धतियों के महत्व को रेखांकित करते हुए महर्षियों द्वारा वर्णित आयुर्वेद की दिनचर्या आहार, योग और व्यायाम की उपादेयता को प्रतिपादित करते हुए कोरोनाकाल में इसकी सराहनीय भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद पद्धतियों के योगदान से हमने कोरोना जैसी गंभीर बीमारी पर विजय प्राप्त की है। उन्होंने आयुर्वेद के छात्रों को चिकित्सा अधिकारी, सीएचओ तथा वेलनेस सेन्टर्स में रोजगार के अवसर प्रदान करने में आयुष विभाग की सराहना की। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी को प्राचीन भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने और आयुर्वेद की विद्या को पल्लवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने पर धन्यवाद दिया।

मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि काल के प्रवाह में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति ने हमेशा अपनी भूमिका का सक्रिय रूप से निर्वहन किया है। हमारे देश के इतिहास में समय-समय पर सुशासन के स्वर्णिम युग में कई आचार्यों और वैद्यों ने धन्वंतरि की उपाधि प्राप्त की। उज्जैन में हर बारह वर्ष में सिंहस्थ का आयोजन किया जाता है। इस दौरान विश्व के कल्याण के लिये संतों द्वारा वैचारिक मंथन भी किया जाता है। यहां प्रत्येक बारह वर्ष में आयुर्वेद महासम्मेलन का आयोजन भी किया जाना चाहिये।

सांसद श्री अनिल फिरोजिया ने कहा कि कोरोना संक्रमणकाल के दौरान आयुर्वेद से बहुत-से लोगों को काफी लाभ हुआ है। काढ़ा पीने के बाद लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हुआ है। आयुर्वेद की सबसे विशिष्ट बात यही है कि इस पद्धति का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। आयुर्वेद को अपनाकर बहुत-से लोगों ने निरोगी काया को प्राप्त किया है। योग और आयुर्वेद एक-दूसरे के लिये हृदय और गति के जैसे हैं।

विधायक श्री पारस जैन ने इस अवसर पर कहा कि हम सभी के लिये यह अत्यन्त हर्ष और गौरव का विषय है कि उज्जैन में अखिल भारतीय आयुर्वेद सम्मेलन हो रहा है। श्री जैन ने कहा कि वे स्वयं योग और आयुर्वेद से जुड़े हैं। पूरे प्रदेश में रोगी कल्याण समितियां होनी चाहिये। सभी जिलों में आयुर्वेद का चिकित्सालय होना चाहिये। आयुर्वेद विश्व में अपनी पहचान बना रहा है। कई लोग आयुर्वेद और योग पद्धति से जुड़ रहे हैं।

कार्यक्रम में डॉ.दुर्गाप्रसाद ने आयुर्वेद मेले के बारे में जानकारी दी कि यह 59वा अखिल भारतीय आयुर्वेद अधिवेशन है। वर्तमान में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की मेनस्ट्रीम में आ गया है। कोरोनाकाल में आयुर्वेद उपचार से बहुत से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ। हम सभी को एकसाथ होकर आयुर्वेद को आगे ले जाने का कार्य करना चाहिये।

वैद्य श्री राकेश शर्मा ने कहा कि आयुर्वेद का आधार स्वस्थ भारत का आधार है। आयुर्वेद एक विशिष्ट विद्या है। एक स्वस्थ जीवन जीने के लिये हम लोग इस विधा से काफी कुछ सीख सकते हैं। इस प्रकार के आयुर्वेद सम्मेलन आयुर्वेद चिकित्सा शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिये निश्चित रूप से कारगर सिद्ध होंगे।

वैद्य श्री त्रिगुणा ने कहा कि आयुर्वेद महासम्मेलन पूरे विश्व में आयुर्वेद को प्रचारित कर रहे हैं। पूरी दुनिया में लोग आयुर्वेद और योग से जुड़ रहे हैं। देश के प्रमुख 50 अस्पतालों में शीघ्र ही आयुष की विंग होगी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के सभी आयुष अस्पतालों में रोग निवारण समिति का गठन किया जाये। आयुर्वेद के विद्यार्थी अपने आपको गर्व से वैद्य कहें डॉक्टर नहीं। आयुर्वेद के चिकित्सक इस विद्या से लोगों का उपचार करें।

कार्यक्रम में आयुर्वेद महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा मंच पर योगाभ्यास का प्रदर्शन भी किया गया।