संभागायुक्त के निर्देश पर उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, नीमच और आगर-मालवा जिले के कलेक्टर्स ने पशुओं में लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किये।
उज्जैन । संभागायुक्त श्री संदीप यादव के निर्देशानुसार उज्जैन संभाग के उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, नीमच और आगर-मालवा के कलेक्टर्स ने जिलों में पशुओं में लंपी स्किन बीमारी के रोकथाम के लिये प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिये है।
कलेक्टर उज्जैन श्री आशीष सिंह ने लंपी स्किन बीमारी की संक्रामकता को दृष्टिगत रखते हुए संक्रमित पशुओं के ईलाज और सुरक्षा हेतु पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संपूर्ण जिले के संबंधित समस्त अधिकारी-कर्मचारी एवं पशु चिकित्सक की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए आगामी आदेश तक उनके समस्त प्रकार के आकस्मिक अवकाश एवं अर्जित अवकाश प्रतिबंधित कर दिये हैं। पशुपालन विभाग के समस्त अधिकारी/कर्मचारी एवं पशु चिकित्सक के प्रसुति अवकाश को छोड़कर पूर्व में स्वीकृत समस्त प्रकार के आकस्मिक अवकाश एवं अन्य अवकाश स्वीकृत किये जाने के पूर्व संबंधित विभाग प्रमुख को कलेक्टर से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होगी। उक्त आदेश तत्काल प्रभावशील हो गया है।
इसी प्रकार रतलाम, नीमच, मंदसौर और आगर-मालवा जिले के कलेक्टर्स ने उनके जिलों में दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिये हैं। इसके अनुसार उक्त जिलों में किसी भी व्यक्ति या संस्थान द्वारा गौवंश/भैंसवंश का परिवहन किसी भी प्रकार के वाहन या व्यक्तिगत पैदल रूप से राजस्थान राज्य एवं उसकी सीमाओं से जुड़े जिलों से संबंधित जिले में नहीं किया जायेगा।
संक्रमित क्षेत्र के केन्द्रबिन्दु से 10 किलोमीटर परिधि क्षेत्र में पशु बिक्री बाजार पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। संक्रमित क्षेत्र से अन्य आसपास के क्षेत्र में उक्त प्रकार के पशुओं की आवाजाही प्रतिबंधित होगी। संक्रमित पशुधन के मालिक संक्रमित पशुओं को अपने संसाधन से पेयजल उपलब्ध करायेंगे। संक्रमित पशुओं को सार्वजनिक हौद/स्थान पर पेयजल के लिए नहीं लाया जायेगा। गौशाला संचालक एवं गौसेवा से संबंधित संस्थान द्वारा संक्रमित पशुओं के ईलाज/सुरक्षा हेतु संक्रमित पशुओं को अन्य पशुओं से पृथक रखेंगे।
आदेश के तहत उक्त जिलों की नगर पालिका निगम, ग्राम पंचायत, नगरीय निकाय एवं अनुविभागीय अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में ऐसे क्षैत्र जहाँ लोगों द्वारा पशुपालन किया जाता है, वहाँ मक्खी/मच्छर के नियंत्रण हेतु आवश्यक कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना सुनिश्चित करेंगे। पशु की मृत्यु होने पर गहरा गड्ढा खोदकर चूना एवं नमक डालकर शव निष्पादन करना होगा। शव निष्पादन स्थल, जलस्त्रोत एवं आबादी से दूर होना चाहिए।
उक्त जिलों में प्रतिबंधात्मक आदेश तत्काल प्रभावशील हो गये हैं। आदेश का यदि कोई व्यक्ति उल्लंघन करेगा तो वह भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा-188 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध का दोषी होकर विधि के प्रावधानों के तहत अभियोजित किया जायेगा।