उज्जैन।न्यायालय विवेक कुमार चंदेल , अपर सत्र न्यायाधीश महोदय, जिला उज्जैन के न्यायालय द्वारा आरोपीगण हरिशरण, हरिशंकर, राजेन्द्र कुमार, संतोष कुमार, राकेश कुमार, अरूण कुमार गंगेले, कैलाश अरजरिया, रमेश कुमार नामदेव, अमर सिंह, राजेश कुमार और संतोष कुमार रावत को धारा 120-बी, 420 एवं 471 भादवि मे आरोपीगणों को 03-03 वर्ष सश्रम कारावास एवं कुल 38,500/-रू0 के अर्थदण्ड से दंडित किया गया।
उप-संचालक अभियोजन डॉ0 साकेत व्यास ने अभियोजन घटना अनुसार बताया कि, पुलिस अधीक्षक जिला उज्जैन को गुमनाम व्यक्ति द्वारा एक लिखित शिकायत की गई थी कि उज्जैन शहर में एक व्यक्ति नकली प्रमाण पत्र व नकली आदेश लेकर नौकरी लगाता है और उसके एवज में 25 से 30 हजार रूपये लेता है। अभी उसने एक व्यक्ति को माकडोन के अस्पताल मे जाली प्रमाण पत्र व जाली आदेश लेकर नौकरी पर लगाया है। पुलिस अधीक्षक उज्जैन ने उक्त आवेदन जांच हेतु सीटीसीआईडी उज्जैन को भेजा था। इसकी उनके द्वारा जांच की गई थी। उसके पश्चात् कार्यालय अपराध अनुसंधान शाखा उज्जैन द्वारा उक्त शिकायत आवेदन की जांच की गई थी। जिसकी जांच रिपोर्ट 29.09.95 को दी गई। जांच मे यह तथ्य आया कि वर्ष 1994-95 में गैस राहत त्रासदी के अतिशेष कर्मचारियों को सर्वेलेंस वर्कर/बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी उज्जैन द्वारा कुछ नियुक्तियॉ दी गई है। उक्त तथ्य की पुष्टि के लिये संचालक गैस राहत एवं त्रासदी भोपाल एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी गैस त्रासदी भोपाल को पत्र लिखकर जानकारी चाही गई तो दोनो ही कार्यालय से रिपोर्ट प्राप्त हुई कि उनके कार्यालय से कोई भी अतिशेष कर्मचारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी उज्जैन के अधीन पदस्थ किया गया है और न ही पत्र मे लेख नाम के कर्मचारी उनके अधीन कार्यरत है। हरिशरण, हरिशंकर, राजेन्द्र कुमार, संतोष कुमार, राकेश कुमार, अरूण कुमार गंगेले, कैलाश अरजरिया, रमेश कुमार नामदेव, अमर सिंह, राजेश कुमार और संतोश कुमार रावत ने फर्जी आदेश पर नियुक्तियॉ प्राप्त की थी। दिनांक 23.12.97 को आरोपीगण के विरूद्व कोतवाली मे अपराध पंजीबद्व कर अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया।माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को दण्डित किया गया।
प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री रूपसिंह राठौर, अपर लोक अभियोजक द्वारा की गई।
अभियुक्तगण सुरेश कुमार, बद्रीप्रसाद, जौहरसिंह, प्रमोदकुमार, रूपसिंह, रामप्रसाद को संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त किया गया एवं आरोपिया रमा फरार घोषित।