उज्जैन।
यह बात भारत तिब्बत संघ के नगर जिला मंत्री मंगेश श्रीवास्तव ने कही। हम आए दिन यह सुन रहे हैं कि कोई न कोई श्रध्दालु व आम आदमी स्नान करते वक्त शिप्रा नदी में डूब गया। उसकी मृत्यु हो गई। पूर्व में भी जिला प्रशासन से मांग की थी कि हरिद्वार हर की पोड़ी, गंगा नदी की तरह शिप्रा नदी में भी चैन व लोहे के खम्बे लगाकर उनमें चैन लगाई जाए ताकि आम आदमी यहां गहराई वाले पानी के इलाके में नही जाए और उसके डूबने से मृत्यु नहीं हो। यह व्यवस्था छोटी पुलिया से लेकर रामघाट और जहां भी प्रशासन को लगे वह कर सकता है। जिससे रोज रोज मां शिप्रा नदी में डूबने की घटना कम हो सके। साथ ही शिप्रा सेना एवं शिप्रा तैराक को भी और अधिक सतर्क एवं सावधानी रखे ताकि आने वाले श्रध्दालुओं की जान बचाई जा सके।
भारत तिब्बत संघ के नगर जिला मंत्री मंगेश श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशासन की बड़ी लापरवाही से रविवार को एक बच्चा शिप्रा नदी में डूबकर गया। दरअसल प्रमुख घाट पर संकेतक ही नहीं लगे है कि कहां कितना पानी है। ऐसे में पर नहाते हुए अनजाने में नीचे बहरे पानी तक चले जाते हैं। जब तक वे संभल पाते हैं बहुत देर हो चुकी होती है। रामघाट, दत्त खड़ा घाट व नृसिंहघाट पर बहुत गहरा पानी भरा है इन तीन प्रमुख घाट व इनके आसपास के लिए उमड़ते हैं। प्रशासन को चाहिए कि शिप्रा मुख्य घाटो पर यह संकेतक लगाएं कि पर कहां कितना पानी है। ताकि श्रद्धालु सचेतक आगे न जाए। रविवार की सुबह सूरत गुजरात से परिवार के साथ आया बालक शिप्रा में नहाने समय घाट से नीचे गहरे पानी उतर गया था। इसी समय उसकी पानी में डूबने से मौत हो गई। परिजनों ने शोर मचाया तो वहां आसपास नहा रहे लोग बालक बचाने के लिए तुरंत नदी में कूदे और उसे बाहर भी निकाल लाए लेकिन काफी देर हो चुकी थी। बालक को अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।