सूर्यास्त से सूर्योदय तक की जाती है उपासना।
उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा के बीच की जाने वाली छठ पूजा आज के समय देश में ही नहीं विदेश में भी होने लगी है अमरीका, कनाडा ,मॉरीशस जैसे देशों में बसे भारतीय संप्रदाय के लोगों ने इस पूजा की शुरुआत की है।
उज्जैन । मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच का क्षेत्र भोजपुर जहां से त्यौहार की शुरुआत होती है आज देश के लगभग सभी में प्रदेशो इसे मनाया जाता है भोजपुरी से लेकर बेंगलुरु तक मनाए जाने वाले त्यौहार अब तीर्थ क्षेत्र उज्जैन में भी मनाया जाने लगा है देशकाल स्थिति के आधार पर उत्तर प्रदेश बिहार के लोग जो उज्जैन में रहते हैं हुए अपनी संस्कृति के मुख्य त्योहार में से जिसे छठ पूजा कहा जाता है उसे मानते हैं उत्तर प्रदेश बिहार में यह त्यौहार चार दिनों तक मनाया जाता है पूजा देशकाल स्थिति के आधार पर इस त्यौहार में छठ पूजा पर कुछ परिवर्तन देखने को मिलते हैं जहां उत्तर प्रदेश बिहार में इस त्यौहार को चार दिनों तक किया जाता है वहीं दूसरे प्रदेशो में रहने वाले उत्तर भारतीय लोग तीन दिन की पूजा करके सप्तमी तिथि को उसका पारायण करते हैं
कैसे होती है पूजा क्या-क्या सामग्री उपयोग में लाई जाती है क्या विधि विधान है आईए जानते हैं।
छठ तिथि के 1 दिन पहले नहाई खाई की रस्म होती है जिसमें घर की महिला स्नान कर उपवास की शुरुआत करती है उपवास की शुरुआत करने के पहले जो खाना बनाया जाता है उसे खाने में विशेष करके लौकी चने की दाल ओर चावल का उपयोग किया जाता है 24 घंटे निआहार उपवास रखने के बाद छठ की तिथि को नगर ग्राम के पास में स्थित तालाब ,नदी तट या समुद्र तट के किनारे जाकर बेदी बनाई जाती है बेदी बनाने के बाद तरह-तरह की पूजन सामग्री में स्थापित की जाती है।
पूजन सामग्री में ठेकुआ के प्रसाद का भी भोग लगाया जाता है ठेकवा बनाने के लिए गेहूं को लाकर उनको अच्छी तरह से धोकर सुखाकर अपने हाथों से पीसकर उसमें शक्कर और दूध मिलाकर उसका प्रसाद मनाया जाता है जो छठ माई को अर्पित किया जाता है उसके साथ ही ऋतु फल जैसे नारियल के लिए सीताफल अनार आदि फलों का भोग लगाकर प्रसाद लिया जाता है छठ तिथि की शाम से सूर्यास्त के समय से शुरू होने वाली है पूजा सप्तमी तिथि के सूर्योदय तक चलती है सूर्योदय होने पर सूर्य को अर्ध देकर इस पूजा का समापन किया जाता है पति अपने हाथ से अपनी पत्नी के बालों पर दूध से अर्ध देकर मांग मे सिंदूर लगा कर सूर्य देवता को नमन करते हुए अपने परिवार की सुख शांति की कामना लिए मनाये जाने वाले इस पर्व का समापन करते है. कोसी एक मिटटी की बनी मटकी होती हेजी के ऊपर दिए लगाए जाते हे ओर उस मटकी को छट मइय्या को अर्पण किया जाता था।
पुरुष भी करते हे छट मइया की पूजा।
