उज्जैन।
देश के प्रमुख व एकमात्र दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुबह की भस्म आरती के बाद से ही बड़ी संख्या में देश भर से दर्शन हेतु पधारे श्रद्धालुओं के आने का क्रम देर रात तक जारी था. अनुमानतः शाम आठ बजे तक लगभग 6.50 से 7.00 लाख श्रद्धालु दर्शन लाभ ले चुके थे
मन्दिर प्रबंध समिति व जिला प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के सुलभ व शीघ्र दर्शन हेतु व्यापक इंतजाम किए गए थे. शहर में सभी दिशाओं से आने वाले श्रद्धालुओं हेतु दिशासूचक बोर्ड से नजदीकी पार्किंग स्थान, जूता स्टैण्ड, पीने के पानी के साथ ही आगे के गंतव्य स्थल तक जाने हेतु मंदिर प्रबंध समिति द्वारा सुदूर क्षेत्रों में दस स्थानों से निःशुल्क बस सेवा अंतर्गत 100 बसों की व्यवस्था की गयी थी जो निरंतर दर्शनार्थीयों के आवागमन को आसान करने के साथ समय भी बचा रही थीं बस सेवा से यात्रिओं को कही भटकना नहीं पड़ा । सुबह 9 बजे जहॉ श्रद्धालुओं को 2 घण्टे का समय लगा था वही शाम पांच बजे तक श्रद्धालुओं ने डेढ़ घंटे में दर्शन किये।
जंहा बाहरी व्यवस्था चाकचौबन्द होकर सभी विभागों के सहयोग से श्रद्धालुगण को हर बिंदु पर त्वरित मार्गदर्शन व सुविधा मिल रही थी वंही मंदिर परिसर पंहुचने के बाद कम समय मे अधिकाधिक श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु मान सरोवर परिसर से प्रवेश के पश्चात रैंप से होकर गणेश मंडप की चार पंक्तियां, व कार्तिक मंडप की नई बनाई गयी तीन पँक्तियों के साथ लागातार श्रद्धालु दर्शन कर निर्गम द्वार से सुविधापूर्वक गंतव्य की ओर जा रहे थे. पेयजल, व्हील चेयर, चिकित्सा,सुरक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य, प्रसाद काउंटर की सतत उपलब्धि से निर्बाध गति बनी रही. मंदिर प्रबन्ध समिति द्वारा श्रद्धालुओं हेतु तीन लाख से अधिक पेयजल की बोतलों की व्यवस्था की गई थी।
पूजन क्रम में प्रातः की भस्म आरती, ब्राह्मण गण द्वारा रुद्र पाठ, दोपहर 12 बजे की शासकीय पूजा, दोपहर 03 बजे से सन्ध्या 6.00 बजे तक परंपरागत शनि प्रदोष का पूजन, ऐकादश एकादशनी रुद्राभिषेक पूजन , होलकर एवं सिंधिया स्टेट के पूजन, संध्या श्रृंगार व पूजन के पश्चात शाम 7.00 बजे से 10.00 बजे तक कोटेश्वर महादेव का पन्चामृत, सप्तधान्य, श्रृंगार आदि पूजन होकर रात्रि 11 बजे से भगवान श्री महाकालेश्वरजी का महाभिषेक पंचामृत से व पांच फलों के रस, गन्ने के रस, गंगाजल, गुलाबजल, भांग, केसर मिश्रित दुघ आदि सामग्री से कर गर्न जल से स्नान कराया जाकर, नवीन वस्त्र धारण कराने बाद सप्तधान मुखारबिंद धारण कर सप्तधान अर्पण किया गया।
कोटा राजस्थान से आई श्रीमती कामना गुप्ता एवं रिया खंडेलवाल ने मंदिर में दर्शन के लिए की गई प्रशासनिक व्यवस्थाओं की अत्यधिक सराहना की ।
सप्तधान्य अर्पण के पश्चात पुजारी बाबा महाकाल को सेहरा बांधेगे व आभूषण धारण करावेंगे. तत्पश्चात लगभग 5.30 बजे से 6.00 बजे तक सेहरा दर्शन आरती होगी। सेहरा चढ़ाने के नेग स्वरूप एक चान्दी का सिक्का व एक चांदी का बिल्बपत्र मंदिर समिति की ओर से शासकीय पुजारी, आचार्य द्वारा श्री महाकालेश्वरजी को चढ़ाया जावेगा. दिनाँक 19 फरवरी को दोपहर 11 बजे सेहरा उतारा जावेगा व दोपहर 12 बजे से वर्ष में एक बार होने वाली भस्म आरती का क्रम जारी होगा. भस्म आरती के आधे घंटे बाद भोग आरती होगी व तत्पश्चात ब्राह्मण भोज का आयोजन होगा
महाशिवरात्रि के पश्चात 21/02 को चंद्र दर्शन दूज पर भगवान श्री महाकालेश्वर के पञ्चानन दर्शन होंगे. दर्शन दोपहर 3.00 बजे सन्ध्या पूजन उपरान्त से रात्रि 10,.00 बजे शयन आरती के पूर्वतक होंगे
मंदिर में सामान्यजन के सुखद दर्शन की व्यवस्था के साथ ही विशिष्ट गण की अलग व्यवस्था जिला-सत्कार कार्यालय के माध्यम से होकर, विशिष्ट जन का आगमन पूजन निरंतन जारी रहा
खोय पाया केंद्र ऊचाई पर होने के कारण पर वृद्ध श्रद्धालुओं को ऊपर जाकर अपने परिजनों के लिए कराना पड़ रहा था अलाउंसमेंट आगामी अवसरों पर प्रशाषन को इस बात पर भी ध्यान देना होगा.