मंगल का राशि परिवर्तन, आसमानी संकट बरसाएगा।

मंगल का राशि परिवर्तन,
आसमानी संकट बरसाएगा लुटपाट हत्या भिषण अग्निकांड वाहन दुर्घटना।

बिजली संकट के साथ कर्नाटक में भाजपा

उज्जैन। 10 मई से मंगल ग्रह कर्क राशि में मंगल का प्रवेश आसमानी आफत बिजली संकट के साथ साथ
मोदी की वाहवाही कर्नाटक में करवायेगा। श्री मांतगी ज्योतिष ज्योतिर्विद पं अजय व्यास के अनुसार मंगल तल की आभा रक्तिम है, जिस वजह से इसे “लाल ग्रह” के नाम से भी जाना जाता हैं।

पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है।
– हमारे सौर मंडल में ग्रहों की बात करें तो मंगल सूरज से 14.2 करोड़ मील की दूरी पर है. ।
सौर मंडल में धरती तीसरे नंबर पर है जिसके बाद चौथे नंबर पर मंगल है. । ज्योतिष शास्त्र ग्रह के सकरात्मक नकारात्मक प्रभाव दोनों पडते है।

मंगल का प्रभाव।

ज्योतिर्विद पं अजय व्यास के अनुसार, मंगल भारद्वाज गोत्र के क्षत्रिय वर्ण माने जाते हैं। इनको अवन्ति का स्वामी कहा जाता है और ये मेष पर सवारी करते हैं। ये हमेशा लाल वस्त्र धारण करते हैं और गले में लाल रंग की माला पहनते हैं। ये अपने चार हाथों में गदा, शक्ति, वर और अभय धारण करते हैं। इनका प्रत्येक अंग कांतिवान होता है। ये मेष के रथ पर सुमेरु की प्रदक्षिणा करते हुए अपने अधिदेवता स्कन्द और प्रत्यधिदेवता पृथ्वी है,
मंगल मेंष राशि वृश्चिक के स्वामी मकर में उच्च कर्क में नीच के होते हैं तीन चंद्र नक्षत्रों का भी स्वामी है: मृगशिरा, चित्रा एवं श्राविष्ठा या धनिष्ठा।
अंगारक (यानि अंगारे जैसा रक्त वर्ण), भौम (यानि भूमि पुत्र)भी कहा जाता है
गरुण पुराण के अनुसार मनुष्य के शरीर में नेत्र मंगल ग्रह का स्थान है।
यह रक्त, मांसपेशियों और अस्थि मज्जा गुदा पर शासन करता है।मंगल का प्रभाव।
यदि किसी जातक का मंगल अच्छा हो तो वह स्वभाव से शारीरिक आत्मविश्वास साहसिक उर्जा निडर और परक्रमी साहसी होगा तथा सेनापति युद्ध में वह विजय प्राप्त करेगा जो प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में बैठा हो तो जातक को विविध क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। तांबा मंगल की प्रमुख धातु है. यह धातु औषधीय मानी जाती है और तमाम रोगों के निवारण में इसका प्रयोग होता है
वास्तु शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह की दिशा दक्षिण मानी गई है।

हथेली में स्थान

चीटी उंगली के नीचे बुध पर्वत के नीचे उर्ध्व मंगल का पर्वत होता है। यह भी उभरा और स्पष्‍ट है तो मंगल अच्छा माना जाता है।
सूर्य और शनि पर्वत के नीचे मध्यम मंगल पर्वत होता है। यह भी उभरा और स्पष्‍ट है तो मंगल अच्छा माना जाता
मंगल रुचक महापुरुष योग या मनोगत विज्ञान का प्रदाता माना जाता है।

वर्तमान मंगल का गोचर फल।

मंगल सुर्य से आगे मंगल के घर में राहु सुर्य होने कारण आकाशीय वज्रपात के साथ देश के बड़े बिजली संयत्र पावर हाउस घरेलू ईलेक्ट्रानिक अग्नि कारक खराब होते हैं लुटपाट जघन्य हत्या वारदात वाहन दुर्घटना की सम्भावना,युध्द जेसी समस्या बनी रहती है जौ गेहूं गुड चीनी दवा जडी बुटी भुमि अनाज महगे वास्तुकार आसमानी बिजली चमकना प्रसासनिक अग्नि कार्य करने वाले समस्या रहती है जलिय वस्तु महगी आंतकवादी घटना
कर्नाटक चुनाव भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में रहेगा दिल्ली मुख्यमंत्री की समस्या बडेगी।
कर्क राशि पर मंगल का प्रभाव
ज्योतिष में कर्क को मंगल की नीच राशि माना गया है. कुछ स्थितियों में मंगल इस राशि के लोगों को परेशान करते हैं. जब मंगल की दृष्टि कर्क राशि पर पड़ती है तो व्यक्ति को बहुत गुस्सा आता है और वह क्रोधित हो जाते हैं. मंगल की दृष्टि पड़ने से अतिक्रोधी स्वभाव के कारण कभी-कभी ये लोग गलत काम भी कर बैठते हैं, जिससे इन्हें खुद ही परेशानी उठानी पड़ती है और दूसरों को भी परेशानी होती है।
अन्य राशियों पर मंगल का फल

मेष राशि।

सुखभाव में आने से
जातक पिता के लिए भाग्यशाली किन्तु माता के सुख में कमी होती है। भूमि, मकान आादि सम्बन्धी कार्यों में परेशानी आती है। स्त्री का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता तथा सवारी, वाहन आदि से चोट लगने की संभावना होती है।
वृषभ राशि।

जातक को भाई-बहन के सुख में कमी, व्यवसाय के क्षेत्र में हानि तथा अनेक परेशानियों का सामना करना होता है । पितृ सुख में कमी होती है।
मिथुन राशि।

संतान पक्ष से कष्ट तथा सट्टे लाटरी की लत (आदत) से हानि होती है। जातक सट्टे
लाररी के व्यसन से बचे। मन अशान्त रहता हैं। उच्च शिक्षा अर्जन हेतू अनेक
रुकावटें आती हैं। आर्थिक संकट की स्थिति बनी रहती है। विशेष
परिश्रम से धन की प्राप्ति होती है।
कर्क राशि।
सौन्दर्य उत्तम होता है किन्तु मानसिक शारीरिक स्वास्थ्य की कमी, पिता एवम सन्तान सुख में असेताष रहता है। माता की भर सखु प्राप्त रहता है। अर्थ
व्यवसाय में अस्थिरता, भूमि तथा मकान आदि से सुख प्राप्त होता है। उच्च शिक्षा में बाधा-विध्न उपस्थित होता है।

 सिंह राशि।

जातक भाग्यहीन होता है। ऐसा जातक क्रोधी, तथा कट् व्यवहार वाला
होता है। धर्म के प्रति आस्था नहीं होती। जातक दुव्यसनी तथा खर्चीला होता है।
स्त्री सुख की कमी, गृह- क्लेश तथा धन हानि की सम्भावना। व्यवसाय से लाभ।
कन्या राशि।
जातक के सम्मुख अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ आती हैं।
कठिन परिश्रम के बाद भी धन का पर्याप्त लाभ नहीं होता। शिक्षा सामान्य।
तुला राशि।
प्रवीण होता है।
जातक दर्बल शरीर वाला
होता है। तीव्र बुद्धि का स्वामी तथा धनी होता है । शिक्षा अपूर्ण, स्त्री और परिवार
से कष्ट।
वृश्चिक राशि।
जातक को जमीन, जायदाद, व्यवसाय आदि से सुख में कमी । माता की ओर से कष्ट रहे।
जातक को शुभाशुभ दोनों प्रकार के फल प्राप्त होते हैं।
धनु राशि।
जातक अत्यधिक चिन्तित रहता है । परेशानियों
से दो चार होना पड़ता है। भाइयों से वैमनस्य भाव रहे।
मकर राशि।
जातक की स्त्रों उग्र स्वभाव वालों होतो है। जातक को गहसी
सुख कम मिलता है
कुम्भ राशि।
जातक धार्मिक स्वभाव
वाला होता है। कठिन परिश्रम द्वारा धन अर्जित करता है।
मीन राशि।
सुख के लए शुभ नहीं
रहता। धनागम और परिवार के लिए सदैव चिन्ता रहती है।

मंगल से ऐसे प्राप्त करे लाभ।

मंगलवार को गुड़ का दान करना भी लाभकारी होगा.
भोलेनाथ को चावल चडाए

ननिहाल के रिश्तों के लिए ढेर सारे पौधे लगाएं.
Warrior Yoga Poses) योग मुद्राएं श्रेष्ठ बताई गईं हैं
नौका मुद्रा जिसे नवासन के नाम से भी जाना जाता है, मेष राशि वालों के लिए परम कोर-मजबूत करने वाली मुद्रा है। यह मुद्रा पेट की मांसपेशियों को मजबूत करती है और आपको अपने शरीर को टोन डाउन करने की अनुमति देती है। यह मुद्रा शरीर के भीतर रक्त के प्रवाह को भी बढ़ाती है, जिससे आपका हृदय और फेफड़े का चक्र खुल जाता है।
वहीं इसका रत्न मूंगा है।
गाय की सेवा करे
उज्जैन मंगलनाथ अंगारेश्वर अभिषेक पुजन कराये
अपने घर के आसपास शिव मंदिरों में शहद चडाये

श्री मांतगी ज्योतिष।
ज्योतिर्विद प.अजय व्यास।
8871304861