मानव अधिकारों के अवहेलना पर कठोर कार्यवाही के प्रावधान,जस्टिस नरेन्द्र कुमार जैन ।◆

मानवाधिकार और आरटीआई विषय पर आयोजित हुआ 87वां राष्ट्रीय वेबिनार मप्र मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन हुए सम्मिलित, बताया कानून की बारीकियां और विशेषता मप्र सूचना आयुक्त राहुल सिंह की अध्यक्षता में हुआ आयोजन पूर्व मप्र सूचना आयुक्त आत्मदीप और उप्र सूचना सूचना आयुक्त अजय उप्रेती ने भी रखे विचार।       

एम.पी. रिवा। मानवाधिकार संरक्षण कानून एवं आरटीआई कानून की जानकारियां एवं उससे जुड़ी हुई समस्याओं के निदान के लिए प्रत्येक रविवार सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक आयोजित होने वाला राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार का आयोजन किया गया। रविवार दिनांक 20 फरवरी 2022 को कार्यक्रम का 87 वां एपिसोड संपन्न हुआ। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के तौर पर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन, पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती, फोरम फॉर फ़ास्ट जस्टिस के ट्रस्टी प्रवीण पटेल एवं पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के द्वारा की गई।
कार्यक्रम में प्रारंभ में जुड़े उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने मानव अधिकार संरक्षण कानून के बारे में विस्तृत में चर्चा की और बताया कि यह कानून आरटीआई कानून जैसे ही काफी मजबूत है जिसमें कई प्रकार की एट्रोसिटी के विरोध में हमें संरक्षण प्राप्त होता है। बाल मजदूरी, बाल श्रम, महिला उत्पीड़न, वृद्धजनों के अधिकार, आम नागरिकों के मूलभूत अधिकार, पुलिस के द्वारा किए जा रहे  एट्रोसिटी के विरुद्ध संरक्षण आदि कई सारे ऐसे मुद्दे हैं जिनसे मानव अधिकार कानून के द्वारा हमें संरक्षण प्रदान किया जाता है।
जिलों में भ्रमण कर मप्र के मानवाधिकार उल्लंघन की करते हैं समीक्षा – जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन।
इस बीच कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने मानव अधिकार संगठन और कानून के मूल उद्देश्य और गठन प्रक्रिया को विस्तार से समझाया और बताया की उन्होंने अपने पदभार संभालने के बाद कई प्रकार की नई पहल की है जिसमें आंगनवाड़ी केंद्रों, स्कूलों, बाल संप्रेषण गृह, जेल एवं अन्य ऐसे स्थान जहां पर मानव अधिकार का उल्लंघन हो सकता है बीच-बीच में भ्रमण करने एवं स्वयं जाकर जायजा लेने के लिए व्यवस्था बनाई हुई है और समय-समय पर जिलों का दौरा करते रहते हैं। उन्होंने उपस्थित दर्जनों पार्टिसिपेंट्स के प्रश्नों के उत्तर दिए और बताया कि सभी लोग किसी भी प्रकार के मानवाधिकार उल्लंघन के विषय में लिखित शिकायत संबंधित राज्य मानवाधिकार आयोग अथवा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में तथ्यों और सबूतों के साथ कर सकते हैं जिसके बाद आयोग संबंधित विभागों को नोटिस भेजकर रिपोर्ट तलब करता है और यदि उल्लंघन पाया है तो उस पर कार्यवाही करता है। जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि वह जिलों का भ्रमण कर वहां के मानवाधिकार उल्लंघन से संबंधित मामलों पर भी मामलों की भी समीक्षा करते हैं और शासन को दिशा निर्देश और अनुशंसा भेजते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक कई जिलों का भ्रमण किया जा चुका है और मामलों की समीक्षा की जा चुकी है।
जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि कई मामलों में उनके द्वारा कंपनसेशन भी दिलवाया गया है। उन्होंने कहा कि कई मामलों का निस्तारण तब तक नहीं किया जाता जब तक पीड़ित पक्ष का अंतिम सहमति कथन प्राप्त नहीं कर लिया जाता है। हालांकि इस विषय में उनके द्वारा यह भी उल्लेख किया गया कि कई बार शिकायतकर्ता नोटिस के बाद भी अपना पक्ष नहीं रखते हैं जिसकी वजह से कई मामलों में अंतिम निर्णय वही मान्य होता किया जाता है जो संबंधित विभाग अथवा पुलिस के द्वारा दिया जाता है।
आरटीआई कानून की धारा 8 और 9 का पी आई तो द्वारा दुरुपयोग बढ़ा है – सूचना आयुक्त।
उन्होंने बताया कि मानव अधिकार आयोग पेपर पत्रिकाओं में निकलने वाले एट्रोसिटी के मामलों पर भी स्वसंज्ञान लेकर भी कार्यवाही करता है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण निर्णय के विषय में बताया कि चेन्नई हाई कोर्ट ने मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा को यह कह कर मान्य किया है की आयोग की अनुशंसा को कोर्ट के निर्णय की तरह ही मान्य किया जाएगा जब तक कि किसी हाईकोर्ट में इसे चैलेंज न किया जाए। सभी को बताया गया कि वह मानव अधिकार आयोग के आदेशों को हल्के में न लें और यह मात्र अनुशंसा तक ही सीमित नहीं होते हैं जबकि आदेश सिविल कोर्ट की काफी महत्वपूर्ण शक्तियों के तहत दिए जाते हैं। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह एवं आत्मदीप ने भी दर्जनों आरटीआई आवेदकों के प्रश्नों के उत्तर दिए और बताया कि सूचना के अधिकार कानून में धारा 8 और 9 का दुरुपयोग लोक सूचना अधिकारियों के द्वारा किया जाता है ऐसे में अपील प्रक्रिया का पालन करते हुए आयोग के समक्ष आवेदकों को जाना चाहिए। किसी भी लोक सूचना अधिकारी के द्वारा मात्र यह कह देना कि कोई जानकारी धारा 8 और 9 के तहत देय जानकारी की श्रेणी में नहीं आती है यह पर्याप्त नहीं होता है बल्कि इसे उन्हें साबित करना पड़ेगा कि वह जानकारी क्यों देय नहीं है।
कार्यक्रम में फोरम फास्ट जस्टिस के ट्रस्टी प्रवीण पटेल ने भी मध्यप्रदेश में महिला अपराधों से संबंधित हजारों मामलों को प्रकाश में लाते हुए अध्यक्ष  जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन के समक्ष काफी महत्वपूर्ण प्रश्न रखें।
इस प्रकार पूरे कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, राजस्थान, नई दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात, तमिलनाडु, केरल, सिक्किम, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से सैकड़ों लोग जुड़े और कार्यक्रम में अपने विचार और प्रश्न रखें। कार्यक्रम का सफल संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा किया गया जबकि कार्यक्रम के अन्य सहयोगियों में अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल आदि सम्मिलित रहे।
शिवानंद द्विवेदी सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता जिला रीवा मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 9589152587