सफलता की कहानी” एसएनसीयू चरक भवन के डॉक्टरों ने जन्म से ही बेहद गंभीर नवजात शिशु को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर दिया नया जीवन।
उज्जैन 25 फरवरी। बड़नगर शहर के सुनील सोलंकी की पत्नी उमा सोलंकी की प्रसूति का समय निकट आने पर वे उन्हें प्रसव हेतु बड़नगर के निजी चिकित्सालय में ले गये, जहां उन्होंने एक बालक को जन्म दिया। चिकित्सकों द्वारा नवजात के माता-पिता को बताया गया कि वह जन्म के समय रोया नहीं है और न ही ठीक से सांस ले रहा है। इसके कारण उसका स्वास्थ्य काफी गंभीर है। नवजात शिशु को गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कर उपचार करना पड़ेगा।
इस पर नवजात के परिजनों ने उसे निजी चिकित्सालय में भर्ती किया, जहां 30 हजार रुपये से ज्यादा खर्च होने के बावजूद भी बच्चे का जीवन बचाना संभव नहीं हो पा रहा था। उज्जैन के निजी अस्पतालों में भी एक लाख रुपये तक खर्च होने के बावजूद परिजन बच्चे के बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे। इसके बाद परिजन बच्चे को तत्काल मातृ एवं शिशु चिकित्सा चरक भवन में संचालित एसएनसीयू में लेकर आये। यहां नवजात को एसएनसीयू में पदस्थ ड्यूटी डॉक्टर द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कर भर्ती किया गया। नवजात को वेंटिलेटर एवं सीपेक पर रखा गया और सतत नि:शुल्क उपचार प्रदान किया गया। नवजात शिशु को लगभग 18 दिवस तक उपचार दिया गया, जिसके फलस्वरूप नवजात शिशु स्वस्थ हो गया और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
चिकित्सकों द्वारा नवजात के माता-पिता को सलाह दी गई कि वे एक वर्ष तक निरन्तर फॉलोअप के लिये उसे लेकर आते रहें। इस दौरान शिशु को जो भी आवश्यक चिकित्सकीय सेवाओं की आवश्यकता होगी, वे नि:शुल्क प्रदान की जायेंगी।
उल्लेखनीय है कि मातृ एवं शिशु चिकित्सालय चरक भवन में अत्याधुनिक सेवाओं व उपकरण से लैस एसएनसीयू का संचालन पूर्ण क्षमता और गुणवत्ता के साथ किया जाता है। जहां प्रायवेट स्वास्थ्य संस्थाओं में एसएनसीयू में भर्ती रखने का खर्चा पांच हजार रुपये प्रतिदिन आता है, वहीं चरक अस्पताल में यह सुविधा नि:शुल्क है। जब तक शिशु पूर्ण रूप से स्वस्थ न हो, उसे भर्ती कर नि:शुल्क उपचार किया जाता है।
नवजात शिशु के परिजनों द्वारा डिस्चार्ज उपरान्त एसएनसीयू में पदस्थ चिकित्सक डॉ.दिलीप वास्के, डॉ.एके मित्तल, डॉ.महेन्द्र अहिरवार, डॉ.पारस पटेरिया एवं पदस्थ समस्त स्टाफ को धन्यवाद दिया गया।