रीवा मध्य प्रदेश।सूचना के अधिकार आवेदन देते समय प्रश्नात्मक जानकारी मांगी जा सकती है क्योंकि आरटीआई कानून में ऐसा कोई नियम प्रावधान नहीं है जिसमें प्रश्नात्मक जानकारी न माँगी जाय।
दिनांक 17 जुलाई 2022 को आयोजित 108 वें राष्ट्रीय आईटीआई वेबीनार में उपस्थित विशेषज्ञों पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी एवं पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त ने बताया कि जो जानकारी दस्तावेज में उपलब्ध है वह दी जा सकती है प्रश्नात्मक अथवा बिना प्रश्नात्मक का सवाल पैदा नहीं होता है।
उन्होंने आवेदकों को यह भी कहा कि अक्सर लोक सूचना अधिकारी प्रश्नात्मक जानकारी के नाम पर जानकारी छुपाते हैं अथवा आवेदन वापस कर देते हैं ऐसी स्थिति से बचने के लिए प्रयास यह किए जाने चाहिए की जानकारी सीधे सरल भाषा में पूछी जाए और प्रश्नात्मक शब्दों का उपयोग कम किया जाय अथवा न किया जाए। विशेषतौर पर उन्होंने यह बताया की काल्पनिक प्रश्न पूछ कर जानकारी नहीं मांगनी चाहिए क्योंकि आरटीआई कानून में जो जानकारी दस्तावेज़ों में उपलब्ध है वही जानकारी दिए जाने का प्रावधान है।
कार्यक्रम में अभी हाल ही में दिनांक 12 जुलाई 2022 के हाई कोर्ट नई दिल्ली के सिंगल जज द्वारा कार्य के निरीक्षण के विषय में एक जज के द्वारा दिए गए आदेश पर भी चर्चा हुई जिस पर विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसे आदेश आरटीआई कानून को निरंतर कमजोर कर रहे हैं।
केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने बताया कि हालांकि चाहे वह हाईकोर्ट अथवा अथवा सुप्रीम कोर्ट हो सभी के ऐसे कई आदेश हैं जो प्रश्न के दायरे में आते हैं। एक बार उन्होंने पुनः गिरीश रामचंद्र देशपांडे के निर्णय को अवैधानिक बताते हुए कहा कि इस पर डिबेट करने के लिए वह तैयार हैं।
इस प्रकार कार्यक्रम में आरटीआई रिसोर्स पर्सन वीरेंद्र कुमार ठक्कर, आरटीआई एक्टिविस्ट ताराचंद्र जांगिड़, आरटीआई एक्टिविस्ट जोधपुर सुरेंद्र जैन, छत्तीसगढ़ से आरटीआई एक्टिविस्ट देवेंद्र अग्रवाल सहित दर्जनों आरटीआई एक्टिविस्ट और आवेदकों ने अपनी अपनी बातें रखी और कार्यक्रम में जानकारियां प्राप्त की। वेबिनार कार्यक्रम का संचालन एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा एवं वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह के द्वारा किया गया।
शिवानंद द्विवेदी सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता जिला रीवा मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर 9589152587.